Untitled
अपनेपन से जोड़ता राखी का विश्वास.
मेरे भाई है जुड़ी, यहाँ साँस से साँस..
राखी राखें लाज अब, पूजें बहना पाँव.
सबमें आज जगाइए, यह ही उन्नत भाव..
भाई बहन सभी यहाँ धर्म ध्वजा लें थाम |
रक्षा से कल्याण हो, निज अंतर में राम..
संस्कार से बल मिले, जुड़ा रहे परिवार.
दुनिया का सच मित्र यह, सबका हो उद्धार..
आँगन बारिश स्नेह की सुनो मेह का शोर.
राखी धागा स्नेह का, पंथ पड़े कमजोर..
धागे कच्चे सूत के, या सोने के ख़ास.
प्रेम-तिलक, स्नेह से भाई रहता पास|
प्रीति सदा हो पल्लवित, प्रीति सुवासित गंध.
बहुत सही है मित्रवर, बहिन नेह सम्बंध..
बेटी-बहना एक सी, इनसे खिलता गेह.
राखी के धागे यहाँ बंधन बाँधें स्नेह..
दो-दो मीठे बोल ही, जोड़ें यह संसार.
इन बोलों में है छिपा, भाई-बहन का प्यार..
प्यार नहीं मोहताज़ है पैसों का श्रीमान.
नेह प्रीति से ही बढ़े सम्बधों का मान..
नहीं भूलता आज तक, वह सिवईं का स्वाद.
माँ के हाथों जो बनी, आया बचपन याद..
बहना नहीं है पास अब, कौन मेरा हमदर्द.
बहना सुख से है वहाँ, भैया को है दर्द..
चली गयी घर ईश के, नहीं सूनी फ़रियाद..
सच कहते हैं मित्रवर, आती हमको याद..
बहना की सुधि लीजिये, उसे भेजिए प्यार.
रक्षा बंधन आ रहा, खुशियों का त्यौहार ..
Reviews
No reviews yet.