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बन्द‍इँ शारदा मागो बिष्णुङ्क बनिता,
श्वेत-पद्मासनी देबी बिधाताङ्क सुता । (१)

ओंकार-सम्भूता मागो बामा मध्ये जिता,
कबिजनमानङ्कर बरदात्री माता । (२)

सप्त स्वरे बीणा-नादे मोहु बिष्णु-मन,
गान्धार रागे आळाप करु तान मान । (३)

तोर सुप्रसादे मूर्ख हुअ‍इ सुकबि,
झङ्कड़-बासिनी मागो श्रीशारळा देबी । (४)

भक्ति- उपहार घेन पद दिअ मात !
कहे मनोहर शिरे य़ोड़ि बेनि हात । (५)

(‘मनोहर-पद्यावली’ पुस्तकरु गृहीत)

[Extracted by Dr. Harekrishna Meher]

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