Ik Ik muamma hai samajhane ka na samajhane ka
एक मोअ'म्मा है समझने का ना समझाने का
ज़िन्दगी काहे को है ख़्वाब है दीवाने का
ख़ल्क़ कहती है जिसे दिल तेरे दीवाने का
एक गोशा है यह दुनिया इसी वीराने का
मुख़्तसर क़िस्सा-ए-ग़म यह है कि दिल रखता हूं
राज़-ए-कौनैन ख़ुलासा है इस अफ़साने का
तुमने देखा है कभी घर को बदलते हुए रंग
आओ देखो ना तमाशा मेरे ग़मख़ाने का
दिल से पोंह्ची तो हैं आंखों में लहू की बूंदें
सिलसिला शीशे से मिलता तो है पैमाने का
हमने छानी हैं बहुत दैर-ओ-हरम की गलियां
कहीं पाया न ठिकाना तेरे दीवाने का
हर नफ़स उमरे गुज़िश्ता की है मय्य्त फ़ानी
ज़िन्दगी नाम है मर मर के जिये जाने का
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