Untitled

अपमान का
इतना असर
मत होने दो अपने ऊपर

सदा ही
और सबके आगे
कौन सम्मानित रहा है भू पर

मन से ज्यादा
तुम्हें कोई और नहीं जानता
उसी से पूछकर जानते रहो

उचित-अनुचित
क्या-कुछ
हो जाता है तुमसे

हाथ का काम छोड़कर
बैठ मत जाओ
ऐसे गुम-सुम से !

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