Untitled by Ambarish Srivastava खूबसूरत समां ताज के साथ में. प्रीति महके यहाँ ताज के साथ में. प्रेम की राह में उम्र बंधन नहीं - यह मज़ा फिर कहाँ ताज के साथ में.. Tags: Short PoemsRate this poem: Report SPAM Reviews Post review No reviews yet. Report violation Log in or register to post comments