Author Uday Prakash छत पर बच्चा अपनी माँ के साथ आता है. पहाड़ों की ओर वह अपनी नन्हीं उंगली दिखाता है. पहाड़ आँख बचा कर हल्के-से पीछे हट जाते हैं माँ देख नहीं पाती. बच्चा देख लेता है. वह ताली पीटकर उछलता है -देखा माँ, देखा उधर अभी सुबह हो जाएगी. Rate this poem Select ratingGive it 1/5Give it 2/5Give it 3/5Give it 4/5Give it 5/5 No votes yet Rate Log in or register to post comments