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राह-ए-हक़ में ख़ुदा से सीखा है, अच्छाई का हर राज़ समझा है, लेकिन मज़हब की दीवार में उलझा है, सच्चा है जो, उसने तो सबको अपनाया, मिट्टी का रंग ना कभी बंटवारा करे, पर ख़ुदा का वजूद भी तो इंसान ने बनाया।
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